साखी (Sakhi) | SEBA Class 10 Hindi Elective Question Answer | Class 10 Hindi Elective Important Questions Answers | NCERT Solutions for Class 10 Hindi Elective | SEBA Hindi Elective Textbook Question Answer | HSLC Hindi Elective Question and Answer Assam | SEBA Hindi Elective Question and Answer Assam | Class 10 Hindi Elective | Alok Bhag 2
साखी
सही विकल्प का चयन करो
1. महात्मा कबीर दास का जन्म हुआ था
(अ) सन् 1398 में।
(आ) सन् 1380 में।
(इ) सन् 1370 में।
(ई) सन् 1390 में।
Ans: सन् 1398 में ।
2. संत कबीर दास के गुरु कौन थे ?
(अ) गोरखनाथ ।
आ) रामानन्द ।
(इ) रामानुजाचार्य ।
(ई) ज्ञानदेव।
Ans: रामानन्द ।
3. कस्तूरी मृग वन वन में क्या खोजता फिरता है ?
(अ) कोमल घास।
(आ) शीतल जल ।
(इ) कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ ।
(ई) निर्मल हवा ।
Ans: कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ ।
4. कबीरदास के अनुसार वह व्यक्ति पंडित है।
(अ) जो शास्त्रोका अध्ययन करता है।
(आ) जो बड़े बड़े ग्रंथ लिखता है।
(इ) जो किताबें खरीदकर पुस्तकालय में रहता है।
(ई) जो प्रेम का ढई आखर’ पढ़ता है।
Ans: (ई) जो ‘प्रेम का ढई आखर’ पढ़ता है ।
5. कवि के अनुसार हमें कल का काम कब करना चाहिए ?
(अ) आज।
(आ) काल ।
(इ) परसो।
(ई) नरसो।
Ans: आज ।
एक शब्द में उतर दो
1. श्रीमंत शंकरदेव ने अपने किस ग्रंथ में कबीर दास जी का उल्लेख किया है ?
Ans: कीर्तन घोषा में।
2. महात्मा कबीर दास का देहावसान कब हुआ था ?
Ans: मगहर में ।
3. कवि के अनुसार प्रेम विहीन शरीर कैसा होता है ?
Ans: कवि के अनुसार प्रेम विहीन शरीर लोहार की खाल जैसा होता है ।
4. कबीर दास जी ने गुरु को क्या कहा है ?
Ans: कुम्हार कहा है।
5. महात्मा कबीर दास की रचनाएँ किस नाम से प्रसिद्ध हुई ?
Ans: बीजक नाम से।
पूर्ण वाक्य में उत्तर दो
1. कबीर दास के पालक पिता-माता कौन थे ?
Ans: कबीर दास के पालक पिता-माता – नीरू और नीमा था।
2. ‘कबीर’ शब्द का अर्थ क्या है ?
Ans: ‘कबीर’ शब्द का अर्थ बड़ा, महान और श्रेष्ठ है।
3. ‘सखी’ शब्द किस संस्कृत शब्द से विकसित है ?
Ans: ‘साखी’ शब्द संस्कृत शब्द ‘साक्षी’ से विकसित है।
4. साधु की कौन-सी बात नहीं पूछी जानी चाहिए ?
Ans: साधु को ‘जाति के बारे में पूछना नहीं चाहिए ।
5. डूबने से डरने वाला व्यक्ति कहाँ बैठा रहता है ?
Ans: डूबने से डरने वाला व्यक्ति पानी के किनारे बैठा रहता है ।
अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्द में)
1. कबीर दास जी की कविताओं की लोकप्रियता पर प्रकाश डालें।
Ans: कबीर दास की कविताओं में भक्ति भाव, व्यवहारिक ज्ञान और जो मानवतावादी दृष्टि है आम जनता की सरल सुबोध भाषा में लिखा हुआ है। उनकी कविताओं की वाणी आज भी प्रासंगिक है। इसलिए लोग उसे ग्रहण करते आए है ।
2. कबीर दास जी के आराध्य कैसे थे ?
Ans: कबीर दास निर्गुण निराकार राम के उपासक थे । यह आराध्य राम संसार के रोम-रोम में है, प्रत्येक अणु-परमाणु में बसने वाले है । सच्चे हृदय से उसे पाया जा सकता है।
3. कबीर दास जी का काव्य भाषा किन गुणों से युक्त है ?
Ans: कबीर दास जी की काव्य भाषा वस्तु तत्कालीन हिंदुस्तानी है, जिसे विद्वानों ने ‘सधुक्कड़ी’ ‘पंचमेल खिचड़ी, आदि कहते है। यह भाषा सरल, सहज, बोधगम्य और स्वाभाविक रूप से आये कलाकारों से सजी हुई है। इसमें ब्रज, फारसी, उर्दू, पंजाबी आदि भाषा का समावेश हुआ है।
4. ‘तेरा साई तुझमें, ज्यों पुहुपन में बास’ का आशय क्या है ?
Ans: कबीर दास के मतानुसार भगवान सब जीवों के हृदय में है। जिस प्रकार फूलों में बास छिपा रहता है उसी प्रकार भगवान संसार के सभी चीजों में छिपा रहता है।
5. सतगुरु की महिमा के बारे में कवि ने क्या कहा है ?
Ans: कबीर दास ने सतगुरु की महिमा को अनन्त कहाँ है। क्योंकि सतगुरु का लोचन अनन्त है, दिखावणार भी अनन्त है। जिसने ईश्वर के साक्षात दर्शन करवा दिए है।
6. अंतर हाथ सहार दे, बाहर बाह्रै चोट का तात्पर्य बताओ।
Ans: कबीर दास के अनुसार गुरु-शिष्य का संबंध कुम्हार और कुंभ का है। जिस प्रकार कुम्हार कुंभ बनाते समय एक हाथ से सहारा देता है और दुसरे हाथ से बाहर चोट लगाता है उसी प्रकार गुरु ने शिष्य को सही शिक्षा देने में कभी कभी कोसते है पर हमेशा हृदय में प्यार होता है।
संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में)
1. बुराई खोजने के संदर्भ में कवि ने क्या कहा है ?
Ans: बुराई खोजने के संदर्भ में कबीर दास ने यह कहना चाहता है कि हमें दूसरों की भलाई – बुराई को देखने से पहले अपने आपको अच्छी तरह निरीक्षण करना चाहिए। कबीर दास के अनुसार लोग दूसरों की बुराई हमेशा देखते है लेकिन अपने मन की मैली को नहीं देखते। जब उसने अपने दिल को देखा तो मालूम हुआ कि उनके जैसे बुरे कहीं भी नहीं है ।
2. कबीर दास जी ने किसलिए मन का मनका फेरने का उपदेश दिया है ?
Ans: कबीर दास जी के मतानुसार अनेक लोग भगवान के नाम पर हाथ में माला लेकर जाप करते है किन्तु भगवान का साक्षात या दर्शन नहीं पाते। आपके अनुसार माला जपने से पहले अपने मन का फेर मारना चाहिए अर्थात् मन की मैली को साफ करनी चाहिए ।
3. गुरु शिष्य को किस प्रकार गढ़ते है ?
Ans: जिस प्रकार कुम्हार कुंभ को बनाने में अंदर में से एक हाथ से सहारा देता है और बाहर से थपकिया लगाते है उसी प्रकार गुरु भी शिष्य को हृदय में प्यार रखते हुए कोसने पीटने के जरिए शिक्षा देकर शिष्य को गढ़ लेते है ।
4. कोरे पुस्तकीय ज्ञान की निशर्थकता पर कबीर दास जी ने किस प्रकार प्रकाश डाला है ?
Ans: कबीर दास के अनुसार पुस्तकीय ज्ञान के जरिए कोई लोग पंडित नहीं बन सकता। पण्डित बनने के लिए लोगों को प्रेम के बारे में जानना जरूरी है। जो लोग प्रेम के ढाई प्रकार का ज्ञान जानते हो वे ही पंडित बन सकते है ।
सम्यक् उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में)
1. संत कबीर दास की जीवन-गाथा पर प्रकाश डालो ।
Ans: हिन्दी के संत तथा राम भक्ति शाखाओं के प्रमुख कवियों में कबीर दास जी अन्यतम है। आपकी भक्ति-काव्यों की तरह जीवन गाथा भी अत्यंत रोचक है । सन १३९८ (1398) में काशी में एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से आपका जन्म हुआ था। लोकलाज के कारण इस दिव्य बच्चे को लहरतारा नामक स्थान के एक तालाब के तट पर छोड़ दिया था। वहाँ से गुजरते हुए नीरू और नीमा नामक मुसलमान जुलाहे दंपति को वह बालक मिला। उन्होंने उसका नाम रखा कबीर और उसे पाल-पोस कर बड़ा किया। आगे चलकर कबीरदास जी बड़े संत, श्रेष्ठ भक्त और महान कवि बने ।
कबीर दास स्वामी रामानन्द के शिष्य थे । वे निर्गुण निराकार ‘राम’ वे की आराधना करते थे। आप जात-पात, उच्च-निम्न आदि भेद भावों के हमेशा विरोधी थे ।
2. भक्त कवि कबीर दास जी का साहित्यिक परिचय दो ।
Ans: कबीर दास आम जनता के कवि थे। उन्होंने जनता के लिए और जनता की सहज, सरल और सुबोध भाषा में काव्य की रचना की। भक्ति धर्म आदि प्रचार और प्रसार के लिए आप जहां-तहां घूमते थे और वहां की जनभाषा से कविता लिखते थे । आपकी कविता में ब्रज, मैथिली, उर्दु पारसी-फारसी, अरबी, पंजाबी, राजस्थानी आदि भाषा के शब्दों का समावेश हुआ है। इसलिए कुछ विद्वानों ने उनकी भाषा को “सधुक्कड़ी” “पंचमेल खिचड़ी” आदि कहा जाता है । ज्ञान, भक्ति, आत्मा-परमात्मा, माया, प्रेम, वैराग्य, आदि गंभीर विषय उनकी रचनाओं में अत्यन्त सुबोध एवं स्पष्ट रूप में प्रकट हुए है ।
कबीर दास ने लोगों के बीच में रहकर तरह-तरह के उपदेश आदि दिया करते थे। उनकी वाणियों को कुछ शिष्यों ने लिपिबद्ध किया। उनकी रचनाएँ “बीजक” नाम से प्रसिद्ध है। इसके तीन भाग है साखी, सबद और रमैनी ।
सप्रसंग व्याख्या करो
1. ‘जाति न पूछो’ साधु की,…… पड़ा रहन दो म्यान ।।
Ans: यह पंक्तियां हमारी स्तक “आलोक भाग-२ के अन्तर्गत महात्मा कबीर दास विरचित “साखी” शीर्षक दोहे से लिया गया है। इसमें कबीर दास ने हमें जाति नहीं बल्कि ज्ञान पर ही गुरुत्व देने को कहा है।
इसमें कबीर दास ने हमें जाति नहीं बल्कि ज्ञान पर ही गुरुत्व को कहा है।
जाति मनुष्य का बाहरी आवरण मात्र है। समाज की भलाई के लिए हमें ज्ञान का ही जरुरत होता है जाति का नहीं। जिस प्रकार लड़ाई जीतने के लिए हमें तलवार की आवश्यकता होती है म्यान का नहीं उसी प्रकार एक सुन्दर समाज बनाने के लिए हमें किसी भी व्यक्ति के ज्ञान पर ही नजर डालना चाहिए जाति से नहीं। कबीर दास ने जाति-भेद को समाज की बुराई का कारण मानते थे। कबीर दास की इस वाणी में सच्चाई है ।
2. जिन ढूँढ़ा तीन पाइयाँ,…… रहा किनारे बैठ ।।
Ans: यह पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आलोक भाग-२’ के अन्तर्गत महात्मा कबीर दास विरचित “साखी” शीर्षक दोहे से लिया गया है। इसमे कबीर दास ने गहन साधना और कर्म की आवश्यकता पर हमारे ध्यान खींच लेना चाहता है।
कबीर दास के अनुसार बिना साधना और कर्म किसी की सफलता नहीं मिलता। मनुष्य जीवन की सफलता कड़ी साधना और परिश्रम पर निर्भर है । जिसमें साहस नहीं वे पानी में डूब जाने की भय से समुद्र के चट पर ही बैठे रहते है और जो निडर है परिश्रमी है समुद्र के अन्दर तक जाकर मोती निकाल लेते है। इससे यह साबित होता है कि जिन्दगी का मजा हिम्मत और परिश्रम वाले ही ले सकता आलसी तथा डरफोक नहीं ।
3. जा घट प्रेम न संचरै,…… साँस लेत बिनु प्रान ।।
Ans: यह पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आलोक भाग-२’ के अन्तर्गत महात्मा कबीर दास विरचित “साखी” शीर्षक दोहे से लिया गया है। इसमें कबीर जी ने हमें प्रेम और भक्ति की महत्ता पर अपना विचार प्रकट किया है। कबीर दास के अनुसार जिस घर में हरिया भगवान की पूजा नहीं होती वह घर श्मशान के समान है। श्मशान में रहने वाले को लोग भूत रहते है जिसके पास भगवान के प्रति प्रेम या भक्ति से भरा कोई हृदय नहीं। दूसरी और उस घर में रहे व्यक्तियों का शरीर भी प्राण शून्य है, लोहार की खाल जैसी है।
4. काल करे सो आज कर,….. बहुरि करेगी कब ।।
Ans: यह पंक्तिया हमारी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-२ के अन्तर्गत महात्मा कबीर दास विरचित “साखी” शीर्षक दोहे से लिया गया है ।
इसमें कबीर ने लोगों को शीघ्र कर्तव्य पालन करने के लिए उपदेश दिया है।
कबीर दास के अनुसार इस जगत की कोई सुनिश्चित विधि नहीं है । किसि न किसि परिवर्तन होता जा रहा है। इस प्राकृतिक परिवर्तनों के साथ साथ हमारे जीवन चर्चा में भी उथल-पुथल आ जाता है । इसलिए हमें समय का काम समय पर कर लेना जरूरी है। कभी भी किसी प्रकार के काम को करने में अवहेलना करना अनुचित है। अपनी करणीय कर्म को जितनी ही जल्दी हो सके उतनी ही में कर लेनी चाहिए ताकि विपद या आफती का असर हमारे ऊपर कम से कम हो कबीर दास की वह वाणी पत्थर की लकीर की तरह हमें हमेशा के लिए याद रखना चाहिए ।
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान
1. निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप बनाओ:
मिरग, पुहुप, सिष, आखर, मसान, परलय, उपगार, तीरथ।
Ans:
मूलशब्द | तत्सम शब्द |
---|---|
मिरग | मृग |
पुहुप | पूष्प |
सिष | शिष्य |
आखर | अक्षर |
मसान | श्मशान |
परलय | प्रलय |
उपगार | उपकार |
तीरथ | तीर्थ |
2. बाक्यों में प्रयोग करके निम्नलिखित जोड़ों के अर्थ का अंतर स्पष्ट करो :
मनका, मन का, करका, कर का, नलकी— नल की, पीलिया, पी लिया, तुम्हारी, तुम हारे, नदी- न दी।
Ans: मनका (माला के दाने) — हाथ में मनका लेकर फायदा नहीं उठा सकता अगर दिल साफ न हो ।
मन का (अंतर) — माला जपने से पहले मन का फेर मार लेनी चाहिए ।
करका (बर्षा का पत्थर ) — श्रावन की महिने में करका अधिक होती है ।
कर का ( हाथ ) — कर का मैली साफ करना आसान है।
नलकी (पानी खींचा जाने वाली यन्त्र) — नलकी की सहायता से जमीन में से पानी ऊपर खीचा जाता है।
नल की ( नल का ) — नल की भीतरी भाग खोखला है।
पीलिया (एक बीमार का नाम) — रमेन पीलिया की दवा ले रहा है ।
पी लिया (पीना कार्य ) — उसने पानी पी लिया है ।
तुम्हारे ( तुम का) — तुम्हारे पास रुपया है क्या ?
तुम हारे ( पराजित होना) — तुम हारे या जीते इसमें मेरा कोई मतलव नहीं ।
नदी (नद, तटिनी) — नदी का पानी पीना नहीं चाहिए ।
न दी (न) — उसने मुझे खाने न दी ।
3. निम्नांकित शब्दों के लिंग निर्धारित करो :
महिमा, चोट, लोचन, तलवार, ज्ञान, घट, साँस, प्रेम ।
Ans: महिमा — स्त्रीलिंग ।
चोट — स्त्रीलिंग ।
लोचन — पुलिंग।
तलवार — स्त्रीलिंग ।
ज्ञान — पुलिंग ।
घट — पुलिंग
साँस — स्त्रीलिंग ।
प्रेम — पुलिंग ।
4. निम्नलिखित शब्दो समूहों के लिए एक एक शब्द लिखो:
(क) मिट्टी के बर्तन बनानेवाला व्यक्ति।
Ans: कुम्हार ।
(ख) ) जो जल में डूबकी लगाता हो।
Ans: पनडुब्बे ।
(ग) जो लोहे के औजार बनाता है।
Ans: लूहार
(घ) सोने के गहने बनाने वाला कारीगर।
Ans: सुनार ।
(ङ) विविध विषयों के गंभीर ज्ञान रखने वाला व्यक्ति।
Ans: पंडित ।