नीलकंठ (Nilkanth) | SEBA Class 10 Hindi Elective Question Answer | Class 10 Hindi Elective Important Questions Answers | NCERT Solutions for Class 10 Hindi Elective | SEBA Hindi Elective Textbook Question Answer | HSLC Hindi Elective Question and Answer Assam | SEBA Hindi Elective Question and Answer Assam | Class 10 Hindi Elective | Alok Bhag 2


नीलकंठ

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1. नीलकंठ पाठ में महादेवी वर्मा की कौन-सी विशेषता परिलक्षित हुई है ?
(अ) जीव-जंतओ के प्रति प्रेम ।
(आ) मनुष्य के प्रति सहानुभूति ।
(इ) पक्षीयों के प्रति प्रेम ।
(ई) राष्ट्रीय पशुओं के प्रति प्रेम ।
Ans: (अ) जीव-जतुओं के प्रति प्रेम ।

2. महादेवी जी ने मोर-मोरनी के जोड़े के लिए कितनी कीमत ?
(अ) पाँच रुपए।
(आ) सात रूपए।
(इ) तीस रूपए ।
(ई) पैंतीस रूपए ।
Ans: (ई) पैंतीस रुपये ।

3. विदेशी महिलाओं ने नीलकंठ को क्या उपाधि दी थी ?
(अ) परफेक्ट जेंटिलमैन ।
(आ) किंग ऑफ द जंगल ।
(इ) ब्यूटीफूल बर्ड ।
(ई) स्वीत एंड हेंडशम परसन ।
Ans: (अ) परफैक्ट जेंटिलमैन ।

4. महादेवी वर्मा ने अपनी पालतू-बिल्ली का नाम क्या रखा था ?
(अ) चित्रा।
(आ) राधा।
(इ) कुब्जा।
(ई) कजली ।
Ans: (अ) चित्रा ।

5. नीलकठ और राधा की सबसे प्रिय ऋतु थी—
(अ) ग्रीष्म ऋतु ।
(आ) वर्षा ऋतु ।
(इ) शीत ऋतु ।
(ई) वसंत ऋतु ।
Ans: (आ) वर्षा ऋतु ।

अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्द)

1. मोर-मोरनी के जोड़े को लेकर पहुँचने पर सब लोग महादेव जी से क्या कहने लगे ?
Ans: घर पहुँचने पर सब लोग महादेवी जी को कहने लगे, “तीतर है, मोर कहकर ठग लिया है”।

2. महादेवी जी के अनुसार नीलकंठ को कैसा वृक्ष अधिक भाता था ?
Ans: महादेव जी के अनुसार नीलकंठ को फलों के वृक्षों से अधिक उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष भाता था। इस वृक्षों में से आम के वृक्ष तथा अशोक का नाम उल्लेखनीय है ।

3. नीलकंठ को राधा और कुब्जा में किसे अधिक प्यार था और क्यों ?
Ans: नीलकंठ को राधा से अधिक प्यार था। क्योंकि राधा और कुब्जा में से राधा के पास नीलकंठ की सहचारिणी होने का अधिक गुण है जिनमें से उसकी लंबी धूपछाँही गरदन, हवा में चंचल कलगी, पंखो की श्यामस्वैत पत्रलेखा, मंथर गति आदि का उल्लेख किया जा सकता जो कि कुब्जा में कमी है। कुब्जा बहुत झगड़ालू थी इसलिए नीलकंठ को उसकी प्रति प्यार की कमी थी ।

4. मृत्यु के बाद नीलकंठ का संस्कार महादेवी जी ने कैसे किया ?
Ans: महादेवी जी ने नीलकंठ के देह अपने शाल में लपेटकर उसे गंगा में प्रवाहित कर दिया ।

संक्षेप में उतर दो (लगभग 40 शब्द)

1. बड़े मिया ने मोर के बच्चे दूसरो को न देकर महादेवी जी को ही क्यो देना चाहता था ?
Ans: महादेवी जी ने बड़े मियाँ को मोर के बच्चे के लिये शंकरगड़ से एक चिड़ीमार दो मोर के बच्चे पकड़ लाया है, एक मोर पुछा था। है, एक मोरनी । मोर के पंजो से दवा बनती है, सो ऐसे ही लोग खरीदने आते है, बड़े मियाँ के सिने में भी दिल है, इसलिए उन्होने नहीं दिया। और उपर से महादेवी जी को जीव जन्तुओं के प्रति प्रेम है, इसलिए बड़े मिया मोर के बच्चे को महादेवी जी को ही देना चाहता था।

2. महादेवी जी ने मोर और मोरनी के क्या नाम रखे और क्यों ?
Ans: नीलाभ ग्रीवा के कारण मोर का नाम रखा गया नीलकंठ और उसकी छाया के समान रहने के कारण मोरनी का नामकरण हुआ राधा।

3. लेखिका के अनुसार कार्तिकेय ने मयूर को अपना वाहन क्यों चुना होगा ? मयूर की विशेशताओं के आधार पर उतर दो।
Ans: कार्तिकेय ने अपने युद्ध वाहन के लिए मयूर को क्यों चुना होगा, यह उस पक्षी का रूप और स्वभाव देखकर समझ में आ जाता है।
मयूर कलाप्रिय वीर पक्षी है, हिंसक मात्र नहीं । इसी से उसे बाज, चील आदि की श्रेणी में नही रखा जा सकता, जिनका जीवन ही क्रूर कर्म है ।

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4. नीलकंठ के रूप-रंग का वर्णन अपने शब्दों में करो। इस दृष्टि से राधा कहा तक भिन्न थी ?
Ans: मोर के सिर की कलगी और सधन, उँची तथा चमकीली हो गई। चींच अधिक बंकिम और पैनी ही गई, गोल आँखो में इंद्रनील की नीलाभ द्युति झलकने लगी। लंबी नील-हरित ग्रीवा की हर भंगिमा मे छ्रपछाँही तरंगे उठने-गिरने लगों दक्षिण-वाम दोनों पंखी में सलेटी और सफेद आलेखन स्पष्ट होने लगी।

पूँछ लंबी हुई और उसके पंखी पर चंदिकाओं के इंद्रधनुषी रंग उद्दीप्त हो उठा। यह थे नीलकंठ कि विशेषताये। उसके साथ राधा कि विशेषता कुछ इस प्रकार थी- राधा का विकास निलकंठ के समान तो नहीं हुआ, परंतु अपनी लबी धुपछाही गरदन, हवा में चंचल कलगी, पंखों की श्यामस्वेत पत्रलेखा, मंथर आदि से वह भी मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने का प्रमाण देने लगी ।

5. बारिश में भींगकर नृत्य करने के बाद नीलकंठ और राधा पंखों को कैसे सूखाते ?
Ans: वर्षा के थम जाने पर वह दाहिने पंखे पर दाहिना पंख और बाएँ पर बाया पंख फैलाकर सुखाता। कभी कभी वे दोनो एक दूसरे के पंखी से टपकने वाली बूँदों की चीज से पी-पी कर पंख का गीलापन दूर करते रहते।

6. नीलकंठ और राधा के नृत्य का वर्णन अपने शब्दों में करो।
Ans: नीलकंठ और राधा के सबसे प्रिय ऋतुओं में से वर्षा ब प्रिय थी। इससे हमे ज्ञात होता है कि वर्षा के समय मोर के नृत्य ही सबसे विख्यात और हम सबका प्रिय है। मेघो के उमड़ आने से पहले ही वे हवा में उसकी सजल आहट पा लेते थे। मेघ के गर्जन के ताल पर ही उसके तन्मय नृत्य का आरंभ होता। और फिर मेघ जितना अधिक गरजता, बिजली जितनी अधिक चमकती, बूँदो की रिम-झिमाहट जितनी तीव्र होता जाती नीलकंठ के नृत्य का वेग उतना ही अधिक बड़ता जाता ।

7. वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर मे बंद रहना असहनीय हो जाता था, क्यों ?
Ans: वसंत ऋतु वृक्षों में से नये नये पत्ते निकलने लगते है, डालीओ से कली खिलने लगते है। आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते है, अशोक के वृक्ष लाल पल्लवों से ढँक जाते है। नीलकंठ को वैसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष अधिक आकर्षित करते है । इसलिए इस ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहा असहनीय हो जाता था ।

8. जाली के बड़े घर में रहने वाले जीव-जंतुओं के आचरण का वर्णन करो ।
Ans: नीलकंठ बहुत शीघ्र ही चिड़ियाघर के निवासी जीव-जंतुओं का सेनापति और संरक्षक नियुक्त लिया। सबेरे ही वह सब खरगोश कबुतर आदि की सेना एकत्र कर उस ओर ले जाता जहाँ दाना दिया जाता है। खरगोश के छोटे छोटे बच्चो का साथ भी खेलता था उनके कान पकड़कर उठाता था। इस प्रकार हमे ज्ञात होता है कि जाली घर में रहने वाले जीव जन्तुओं का आचरण बहुत ही सुन्दर थी।

9. नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप के चंगुल से किस तरह बचया ?
Ans: नीलकंठ दूर ऊपर झूले में सो रहा था जब साप आया। उसी के चौकन्ने कानो ने उस मंद स्वर की व्यथा पहचानी और वह पूँछ-पंख समेटकर सर से एक झपटे नीचे आ गया।
उसने साँप को फन के पास पंजो से दबाया और फिर चोंच से इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश का बच्चा मुख से निकल आया। इसी प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप के चंगूल से बचाया।

10. लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चैष्ठाएँ बहुत भाती थी ?
Ans: लेखिका महादेवी वर्मा को नीलकंठ जैसा एक कलाप्रिय वीर पक्षी के कुछ विशेष रुप और स्वभाव ने आकृष्ट किया था। इनमें से चिड़ियाघर के निवासी जीव-जन्तुओं का सेनापति और संरक्षक बनना, खरगोश, कबुतर आदि सेना को एकत्र कर उन्हे लक्ष्य तक पहचाना, दंड देने के समान प्रेम रखना, पंखों का सतरंगी मंडलाकार छाँवा वानकर नियमित रूप से नृत्य की भंगिमा में खड़ा हो जाना, लेखिका के हथेली पर से चुने चुने को नुकीली पैनी चोंच द्वारा कोमलता से उठाकर खाना आदि उल्लेखनीय है ।

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सम्यक् उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में)

1. नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में वर्णन करो।
Ans: मयूर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं को निम्नप्रकार अंकित किया गया है ।
जब नीलकंठ बड़ा होने लगा तब उसका दिनचर्चा भी बदल गया । वह किसी की ओर गरदन ऊँची कर देखता था। वह विशेष भंगिमा के साथ दाना चूगता था, पानी पीता था- कभी किसी आहट हो तो वह टेढ़ी कर सुनने लगता था। कुछ महीने बाद वह खरगोश, कबुतर आदि जीव-जन्तुओं का सेनापति और संरक्षक बनकर उन्हें देने की जगह ले जाता। किसी ने कुछ गड़बड़ की तो तीखे चंचु प्रहार से दंड देता। दंडविधान के समान ही वह सबका प्यार भी दिया था।

नीलकंठ जीव-जन्तुओं का प्रहरी जैसा था। वह शिशु खरगोश को साँप के मुह से बचाया था। साँप को दो खण्ड करने के बाद वह शिशु खरगोश के पास जाकर उसे पंखों के नीचे रखा और ताप दिया था। नीलकंठ का ऐसा मानवीय कर्म देखे विना अनुभव किया नहीं जाता।

नीलकंठ महसूच करता था कि किस प्रकार कृतज्ञता की स्वीकार किया जा सकता। वह लेखिका महादेवी वर्मा जी को उनके पा पोषण के कारण कृतज्ञता के रुपमे पंखों का सातरंगी मंडलाकार छाता वान कर नित्य की भंगिमा में खड़ा हो जाता था। यह देख विदेशी महिलाओं ने भी उसे “परफेक्ट जेंटलमेन’ की उपाधि दी थी। इसके अलावा नीलकंठ में कलाप्रियता, संगीतमयता, दुख कातरता, इत्यादी गुण पाया जाता है जो मानवीकरण का एक सजीव चित्र हमें दिखाई देता है।

2. कब्जा और राधा के आचरण में क्या अंतर परिलक्षित होते है ? क्यों ?
Ans: कुब्जा और राधा दोनो मोरनी है। दोनों के आचरणों में अनेक अंतर परिलक्षित होते है। नीचे दोनों के अंतर को दिखाया गया है।

राधाकुब्जा
1. राधा मंथर गति से चलने वाले मोरनी थी। उनकी आचरण में मोर की उपयुक्त सहचारिणी । होने का प्रमाण है। वह मोर । नीलकंठ की छाया के समान रहती थी।1. कुब्जा का आचरण राधा का समान नहीं था। वह नाम के अनुरूप कुबड़ी भी थी।
2. शिशु खरगोश के ऊपर चली साँप के आक्रमणों के बारे में राधा को भी पता मिल गयी थी लेकिन वह नीलकंठ को मदद देने की आवश्यकता महसूच नहीं करता। तथापि वह अपनी । मंद केका से इस घटना की । सूचना दी थी ।2. कुब्जा बहुत बड़ी क्रोधी और चंचल थी। नीलकंठ और रा के मेल को देख वह आगबबुल हो गयी थी। चोंच से । मार-मारकर राधाकी कलगीनोच डाली, पंख नोच डाले ।
3. राधा की नृत्य में छंद रहता था । वह नृत्यमग्न नीलकंठ की दाहिनी और के पंख को छूती हुइ । । बाहँ और निकल आती थी और । बाँए पंख को स्पर्श कर दाहिनी ओर ।3. नीलकंठ के प्रति कुब्जा का प्यार भी कम न था, पर नीलकंठ उससे दूर भागता था।
4. बर्षा ऋतुमें नीलकंठ के पंखों में लगी बँदो की राधा अपने चोंच से पी-पी कर पंखों का । गीलापन दूरकर मोर को योग्य । सहचारिणी होने का प्रमाण देती थी।4. कुब्जा किसी को नीलकंठ के । पास आना नही चाहती थी। । किसी भी जीव-जन्तु से वह मित्रता करना भी नहीं चाहती थी। वह इतनी झगड़ालु और हिंसक थी कि उसकी डर से राधा । अपने दिए दो अंडे को पंखों में छिपाए रखती थी। किसीसे पता चलते ही कुब्जा ने चोंच मार । मार कर राधा को ढकेल दिया था और फिर अंडे फोडकर पैरों से छितरा दिए थे।
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3. मयूर कलाप्रिय वीर पक्षी है, हिंसक मात्र नहीं इस कथन का – आशय समझाकर लिखो।
Ans: सभी प्रकार के जीव-जन्तुओं या पशु-पक्षीओं का वीच रूप स्वभाव और आचरण में अंतर देखा जाता है। चारित्रिक विशेषता के कारण एक दुसरों से श्रेष्ठ बनजाता है। बाज, चील जैसे हिंस्र पक्षीओं की तरह मयूरो का जीवन नहीं है। बाज, चीलो का जीवन हिंस्रता से और क्रूरता से भरा हुआ है। पर हिंस्रता रहते हुए भी जो कलाप्रियता, सुन्दरता, और वीरत्व मयूरों में है इससे वे अपने को मनुष्य के पूज्य श्रेणी तक पहुचाता है।

पुराणे जमाने से ही लोग मयूरों के साथ सम्बंध करते आये । कार्तिकेय ने मयूरो को आपना युद्ध का वाहन चुना था बाज और चील को नहीं। मयूर अपने नृत्य द्वारा लोगों का मन मोहलेते है। एक ही समय में वह वैरीओ के साथ वीरता से बदला ले सकता है। मयूर सौन्दर्य का भी अनुरागी है। वह फलों का नहीं पुष्पित और पल्लवित वृक्षो को ही अधिक थाते है। तदुपरांत बर्षाकालिन मेघ के गर्जन के बाल पर नाचने लगते है और केका का स्वर भी मंद से मंदतर होता है। मयूरों के इतने गुणों के साथ कहाँ होता है बाज, चील जैसे प्राणीओं का मेल ।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान

1. निम्नलिखित शब्दों के संधि-विच्छेद करो:
नवागतुक, मंडलाकार, निष्चेष्ट, आनंदोत्सव, विस्मयाभिभूत, आविर्भूत, मेघाच्छन्न, उद्दीप्त।
नवागतुक — नव + आगंतुक = नवागतुक ।

मंडलाकार — मंडल + आकार = मंडलाकार
निष्चेष्ट — नि: + चेष्ट = निष्चेष्ट ।
आनंदोत्सव — आनंद + उत्सव = आनंदोस्तव ।
विस्मयाभिभूत — विस्मय + अभिभूत = विस्मयाभिभूत ।
आविर्भूत — आविः + भूत = आविर्भूत ।
मेघाच्छन्न — मेघ + आच्छन्न = मेघाच्छन्न ।
उद्दीप्त — उत् + दीप्त = उद्दीप्त ।

2. निम्नलिखित समस्तपदों का विग्रह करते हुए समास का नाम भी बताओ :
पक्षी-शावक, करुण-कथा, लय-ताल, धूप-छाँह, श्याम-श्वेत, चंचु – प्रहार, नीलकंठ, आर्तक्रंदन, युद्धवाहन।
Ans:

समस्त पदसमास बिग्रहसमासो का नाम
(i) पक्षी-शावकपक्षी का शावकसम्बंध तत्पुरुष
(ii) करुण-कथाजो कथा करुण हैकर्मधारय
(iii) लय-ताललय और तालद्वन्द्व (समाहार द्वन्द्व )
(iv) धूप-छाँहधूप और छाँहइतरेतर वण्ड
(v) श्याम-श्वेतश्याम और श्वेतइतरेतर द्वण्ड
(vi) चंचु-प्रहारचंचु से (के द्वारा)करण तत्पुरुष ।
(vii) नीलकंठनीली कंठकर्मधारय (विशेषण पूर्वपद)
(viii) नीलकंठनीला है जिसका कंठ(शिव) बहुव्रीहि समास
(ix) आर्तक्रंदनआर्त का क्रंदनतत्पुरुष
(x) युद्धवाहनयुद्ध का वाहनसम्बंध तत्पुरुष

3. निम्नलिखित शब्दों से मूल शब्द और प्रत्यय अलग करो :
स्वाभाविक, दुर्बलता, रिमझिमाहट, पुष्पित, चमत्कारिक, मानवीकरण, विदेशी, सुनहला, परिणामत।
Ans: स्वाभाविक — स्वभाव + इक् ।

दुर्बलता — दुर्वल + ता ।
रिमझिमाहट — रिमझिम + आहट ।
पुष्पित — पुष्प + इत ।
चमत्कारिक — चमत्कार + इक् ।
मानवीकरण — मानवी + करण ।
विदेशी — विदेश + ई ।
सुनहला — सुनहल + आ ।
परिणामत — परिणाम + अतः ।

4. उठना, जाना, डालना, लेना क्रियाओं से बनने वाली संयुक्त क्रियाओं से चार वाक्य बनाओ:
उठना, जाना, डालना, लेना।

उठना — हमे आपना सेहत बनाने के लिये सुबह जल्दी उठना चाहिये।
जाना — मुझे कल फुटबल खेलने के लिये दिल्ली जाना है।
डालना — दूध में इतना पानी मत डालो ।
लेना — हमारे बीच लेना देना तो लगा ही रहेगा।

5. निम्नलिखित वाक्यों में उदाहरणों के अनुसार यथास्थान उपयुक्त विराम चिह्न लगाओ
(क) उन्हें रोककर पूछा मोर के बच्चे है कहाँ ।
Ans: उन्हें रोककर पूछा, “मोर के बच्चे है कहाँ” ?

(ख) सब जीव-जंतु भागकर इधर-उधर छिप गए।
Ans: सब जीव-जंतु भागकर इधर-उधर छिप गए।

(ग) चोंच से मार-मारकर उसने राधा की कलगी नोच डाली पंख नोच डाले।
Ans: चोच से मार-मारकर उसने राधा की कलगी नोच डाली, पंख नोच डाले।

(घ) न उसे कोई बीमारी हुई न उसके शरीर पर किसी चोट का चिह्न मिला।
Ans: न उसे कोई बीमारी हुई, न उसके शरीर पर किसी चोट का चिह्न मिला।

(ङ) मयूर को बाज चील आदि की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता जिनका जीवन ही क्रूर कर्म है।
Ans: मयूर को बाज, चील आदि की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, जिनका जीवन ही क्रूर कर्म है।

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